Saturday 27 February 2016

बस यूँहीं !


ज़िन्दगी जब मायूस होती है ,
ज़िन्दगी तब महसूस होती है।

कई दिन हुए सवेरा हुआ था ,
बोहोत रात बीती अब बिना चाँद के,
आँखों की नींद अब जाने कहाँ  सोती है।
ज़िन्दगी जब मायूस होती है ,  तब महसूस होती है।

जहाँ जाके हँसते हम थकते नहीं थे,
वो मंज़र सभी आज हँसते है मुझपे ,
उन रास्तो पर भी चलने की हिम्मत  अब कहाँ होती है।
ज़िन्दगी जब मायूस होती है , शायद  तब ही महसूस होती है।

हैरान हूँ ये देख कर , की सांस अभी तक रुकी नहीं है ,
दिल धड़कता है , और आँखों की नमी अब तक बनी हुई है ,
शायद तेरे दिन में अब भी कभी मेरी कमी होती है।

ज़िन्दगी जब मायूस होती है ,
ज़िन्दगी तब थोड़ी और ज़्यादा  महसूस होती है।


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