ज़िन्दगी जब मायूस होती है ,
ज़िन्दगी तब महसूस होती है।
कई दिन हुए सवेरा हुआ था ,
बोहोत रात बीती अब बिना चाँद के,
आँखों की नींद अब जाने कहाँ सोती है।
ज़िन्दगी जब मायूस होती है , तब महसूस होती है।
जहाँ जाके हँसते हम थकते नहीं थे,
वो मंज़र सभी आज हँसते है मुझपे ,
उन रास्तो पर भी चलने की हिम्मत अब कहाँ होती है।
ज़िन्दगी जब मायूस होती है , शायद तब ही महसूस होती है।
हैरान हूँ ये देख कर , की सांस अभी तक रुकी नहीं है ,
दिल धड़कता है , और आँखों की नमी अब तक बनी हुई है ,
शायद तेरे दिन में अब भी कभी मेरी कमी होती है।
ज़िन्दगी जब मायूस होती है ,
ज़िन्दगी तब थोड़ी और ज़्यादा महसूस होती है।
बहुत ख़ूब
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